मेरी बस्ती में यूँ तो रोज सभी आते हैं।
यहाँ बसने वाले कभी- कभी आते हैं॥
सजा रहे घर अपना ही सब , दूसरों का।
-सँवारने वाले कभी - कभी आते हैं॥
आग बस्ती में लगी देख सभी हंसते हैं।
मगर रोने वाले कभी- कभी आते हैं॥
मौत सबके लिए सस्ती है मगर जीने का।
हुनर रखने वाले कभी - कभी आते हैं॥
अपलक ताकते दर पर खड़े नयन मेरे।
घर आने वाले कभी - कभी आते हैं॥
सजा रहे घर अपना ही सब , दूसरों का।
-सँवारने वाले कभी - कभी आते हैं॥
आग बस्ती में लगी देख सभी हंसते हैं।
मगर रोने वाले कभी- कभी आते हैं॥
मौत सबके लिए सस्ती है मगर जीने का।
हुनर रखने वाले कभी - कभी आते हैं॥
अपलक ताकते दर पर खड़े नयन मेरे।
घर आने वाले कभी - कभी आते हैं॥
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